नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास,नालंदा खंडहर: भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था का प्रतीक , नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास
नालंदा खंडहर: भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था का प्रतीक , नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास
परिचय
नालंदा विश्वविद्यालय, जिसे अब नालंदा खंडहर के रूप में जाना जाता है, भारत के गौरवशाली इतिहास का अद्वितीय प्रमाण है। यह बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित है और इसे प्राचीन विश्व का सबसे पुराना आवासीय विश्वविद्यालय माना जाता है। यूनेस्को ने इसे 2016 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।
स्थापना
समयकाल: नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी ईस्वी में गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त I ने की थी।
नाम का अर्थ: 'नालंदा' का अर्थ है "ज्ञान देने वाला स्थान"।
विकास: यह विश्वविद्यालय बाद में हर्षवर्धन और पाल वंश के राजाओं के संरक्षण में अत्यधिक समृद्ध हुआ।
वास्तुकला और संरचना
नालंदा खंडहरों में आपको प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला की झलक मिलती है।
1. महाविहार परिसर:
यहाँ 9 विशाल भवन, 10 मंदिर और कई कक्ष हैं।
पुस्तकालय (धर्मगंज) तीन भागों में बंटा था: रत्नसागर, रत्नोदधी और रत्नरंजक।
2. भिक्षुओं के निवास:
छोटे-छोटे कक्षों को ध्यान और अध्ययन के लिए डिज़ाइन किया गया था।
3. दीवारें और सुरक्षा:
परिसर को मोटी दीवारों से घेर कर एक सुरक्षित स्थान बनाया गया था।
अंदर जल प्रबंधन और वेंटिलेशन का बेहतरीन उदाहरण मिलता है।
शैक्षिक योगदान
नालंदा में बौद्ध, वेद, खगोलशास्त्र, गणित, चिकित्सा, और दर्शन जैसे विषय पढ़ाए जाते थे।
यहाँ 10,000 छात्र और 2,000 शिक्षक एक साथ रहते और सीखते थे।
छात्र भारत के साथ चीन, तिब्बत, जापान, और कोरिया जैसे देशों से आते थे।
प्रसिद्ध विद्वान: नागार्जुन, धर्मपाल, आर्यभट्ट, और शी-यान जैसे महान विद्वानों का यहां से संबंध था।
नियम और अनुशासन
1. प्रवेश नियम:
नालंदा में प्रवेश के लिए कड़ी परीक्षा ली जाती थी।
केवल योग्य छात्रों को ही प्रवेश मिलता था।
2. नियमितता:
हर छात्र को कक्षाओं और ध्यान सत्र में भाग लेना अनिवार्य था।
3. भिक्षु जीवन शैली:
सरल और अनुशासित जीवनशैली को प्रोत्साहित किया जाता था।
विद्या और ध्यान में समर्पण महत्वपूर्ण था।
नालंदा का पतन
12वीं शताब्दी में, बख्तियार खिलजी ने नालंदा पर आक्रमण किया और इसे नष्ट कर दिया। यहाँ का विशाल पुस्तकालय महीनों तक जलता रहा, जिससे असीम ज्ञान की हानि हुई।
आधुनिक पुनर्जागरण
वर्तमान में, नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण किया गया है। यह वैश्विक शिक्षा और अनुसंधान का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।
नालंदा की विशेषताएं
1. यह विश्व के पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक था।
2. यहाँ का पुस्तकालय अपने समय का सबसे बड़ा और सबसे समृद्ध था।
3. विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान का केंद्र था।
4. यहाँ की वास्तुकला उस समय की उन्नत तकनीकों को दर्शाती है।
पर्यटन गाइड
कैसे पहुंचें:
हवाई मार्ग: पटना एयरपोर्ट (90 किमी) निकटतम है।
रेल मार्ग: राजगीर रेलवे स्टेशन से 12 किमी।
घूमने का समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक।
बेस्ट सीजन: अक्टूबर से मार्च।
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